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leelashanker GuestbookTimeline Photos क्रोध पर विजय एक व्यक्ति के बारे में यह विख्यात था कि उसको कभी क्रोध आता ही नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिर्फ बुरी बातें ही सूझती हैं। ऐसे ही व्यक्तियों में से एक ने निश्चय किया कि उस अक्रोधी सज्जन को पथच्युत किया जाये और वह लग गया अपने काम में। उसने इस प्रकार के लोगों की एक टोली बना ली और उस सज्जन के नौकर से कहा – “यदि तुम अपने स्वामी को उत्तेजित कर सको तो तुम्हें पुरस्कार दिया जायेगा।” नौकर तैयार हो गया। वह जानता था कि उसके स्वामी को सिकुडा हुआ बिस्तर तनिक भी अच्छा नहीं लगता है। अत: उसने उस रात बिस्तर ठीक ही नहीं किया। प्रात: काल होने पर स्वामी ने नौकर से केवल इतना कहा – “कल बिस्तर ठीक था।” सेवक ने बहाना बना दिया और कहा – “मैं ठीक करना भूल गया था।” भूल तो नौकर ने की नहीं थी, अत: सुधरती कैसे? इसलिये दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी बिस्तर ठीक नहीं बिछा। तब स्वामी ने नौकर से कहा – “लगता है कि तुम बिस्तर ठीक करने के काम से ऊब गये हो और चाहते हो कि मेरा यह स्वभाव छूट जाये। कोई बात नहीं। अब मुझे सिकुडे हुए बिस्तर पर सोने की आदत पडती जा रही है।” अब तो नौकर ने ही नहीं बल्कि उन धूर्तों ने भी हार मान ली। Ankhein vo khole tho payin mujhe Har dam har pal chahe mujhe Bas vo hi pehchan hai meri Milna unse kismat hai meri. pyaar Me Milna Jaruri Nahi, Pyaar Mein Izhaar Bhi Zaruri Nahi, Zaruri Sirf Ehsaas Hai Jo Zindagi SaNwarde, Unhe PaAna Ya Na Pana Zaruri Nhi… pyaar wo ehsaas hai jo mitata nahi, Pyaar wo parwat hai jo jhukta nahi, Pyaar ki keemat kya hai humse pucho, Pyaar wo anmol hira hai jo bikta nahi… | |
